पहाड़ को कब मिलेगी गुलदारों के आतंक से मुक्ति, कब तक नौनिहालों की पढ़ाई होती रहेगी बाधित
पौड़ी जिले के ठांगर क्षेत्र में गुलदार की दहशत के चलते दो दिन बंद करने पड़े स्कूल
देहरादून। यह सही है कि वन्यजीव संरक्षण में उत्तराखंड अहम भूमिका निभा रहा है, लेकिन यही वन्यजीव आमजन के लिए मुसीबत का कारण भी बन रहे हैं।आए दिन जंगली जानवरों के हमले की घटनाएं सुर्खियां बन रही हैं। ये कहा जाए कि वन्यजीवो के कारण पहाड़ की दिनचर्या बुरी तरह प्रभावित हुई है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। अब पौड़ी जिले के द्वारीखाल ब्लॉक के ठांगर क्षेत्र को ही ले लीजिए, जहां स्कूल के पास गुलदार की सक्रियता बनी हुई है। इसके चलते प्रशासन को क्षेत्र के नौ स्कूलों में दो दिन का अवकाश घोषित करना पड़ा है। ऐसे में समझा जा सकता है कि हालत किस कदर गंभीर हो गए है। बावजूद इसके समस्या के समाधान को ठोस पहल होती नजर नहीं आ रही।
उत्तराखंड में गुलदार का आतंक सबसे अधिक चर्चा में रहता है। आए दिन गुलदारो के हमले हो रहे हैं। पहाड़ तो गुलदाराें के आतंक से थर्रा रहा है। वहां कब कहां गुलदार सामने धमककर जान के खतरे का सबब बन जाए, कहा नहीं जा सकता। न घर आंगन सुरक्षित हैं और न खेत खलियान। बच्चों को स्कूल भेजते समय भी अभिभावकों में हमेशा चिंता बनी रहती है।
द्वारीखाल ब्लाक के ग्राम ठांगर क्षेत्र को लें तो हाल में वहां गुलदार ने बच्चों पर हमला किया था। इसके बाद राजकीय प्राथमिक स्कूल ठांगर के आसपास गुलदार देखा जा रहा है। इस सबको देखते हुए उपजिलाधिकारी की रिपोर्ट पर जिलाधिकारी ने ठांगर क्षेत्र के नौ स्कूलों में दो दिन का अवकाश घोषित किया है।
यह पहला अवसर नहीं है, जब गुलदार, बाघ के भय के चलते स्कूलों में अवकाश घोषित किया गया है। पूर्व में पौड़ी जिले के रिखणीखाल के धामदार क्षेत्र में भी कुछ दिन स्कूल बंद करने पड़े थे। इस परिदृश्य में प्रश्न उठना स्वाभाविक कि ऐसा कब तक चलेगा। आखिर, कब तक लोग वन्यजीवों के आतंक से जूझते रहेंगे। जाहिर है कि समस्या के समाधान को प्रभावी कदम उठाने होंगे।