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वन्यजीवों के हमले में मानव, पशु, भवन व फसल क्षति के मामलों में सरकार ने बढ़ाई मुआवजा राशि

-मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर शासन ने मानव वन्यजीव संघर्ष राहत वितरण निधि नियमावली में संशोधन की अधिसूचना की जारी

देहरादून। उत्तराखंड में जंगली जानवरों के हमलों में मानव, पशु, भवन व फसल क्षति के मामलों में दी जाने वाली मुआवजा राशि में सरकार ने बढ़ोतरी कर दी गई है। इस कड़ी में शासन ने शुक्रवार को मानव-वन्यजीव संघर्ष राहत वितरण निधि नियमावली में संशोधन की अधिसूचना जारी कर दी।

समूचा उत्तराखंड मानव वन्यजीव संघर्ष से त्रस्त है। हाल के दिनों में राजधानी देहरादून के विभिन्न क्षेत्रों में गुलदार की सक्रियता ने नींद उड़ाई हुई है। ऐसा ही हाल राज्य के अन्य क्षेत्रों का भी है। इस परिदृश्य के बीच मानव वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम के लिए सरकार ने वन विभाग को प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल में हुई समीक्षा बैठक में वन्यजीवों से होने वाली क्षति के मामलों में दी जाने वाली मुआवजा राशि में वृद्धि से संबंधित अधिसूचना शीघ्र जारी करने के निर्देश दिए थे। अब जारी अधिसूचना के अनुसार वन्यजीव हमले की घटना होने के 15 दिन के भीतर पीड़ितों को मुआवजा राशि उपलब्ध कराई जाएगी। मृत्यु के मामलों में संबंधित  परिवार को अब छह लाख रुपए की राशि दी जाएगी। इसमें  आपदा मोचन निधि से चार लाख और  मानव वन्यजीव संघर्ष राहत वितरण निधि से दो लाख रुपए उपलब्ध कराए जाएंगे। अगर केंद्र सरकार मुआवजा राशि में वृद्धि करती है तो भी इसमें दो लाख की अतिरिक्त राशि इसी निधि से दी जाएगी। ऐसा ही वन्यजीवो के हमले में घायल अथवा फसल, भवन क्षति के मामलों भी होगा।

अधिसूचना के अनुसार जंगली हाथियों व भालू द्वारा भवनों को क्षति पहुंचाने पर भी मुआवजा राशि दी जाएगी। यह भी स्पष्ट किया गया है की वन्यजीवों के हमले में घायल व्यक्तियों का आयुष्मान भारत योजना के तहत उपचार होने पर वे मुआवजा राशि के लिए पात्र नहीं होंगे।

अब ये होंगी नई दरें
मानव क्षति: राज्य में वन्यजीवों के हमले में वयस्क व अवयस्क की मृत्यु पर परिवारजन को छह लाख, गंभीर रूप से घायल को एक लाख, आंशिक रूप से अपंग को एक लाख, पूर्ण रूप से अपंग को तीन लाख और
साधारण रूप से घायल व्यक्ति को 15-16 हजार की राशि बतौर मुआवजा दी जाएगी।

क्षति की अन्य दरें (रुपए में)
पशु क्षति (प्रति जानवर)
गाय, भैंस व जंबू (ज्वों), 37500
बकरी, भेड व सूअर, 5000
ऊंट, घोड़ा व बैल, 32500-40000
बछडा, गधा, खच्चर व हेफर, 20000
फसल क्षति (प्रति एकड़)
गन्ना, 25000
धान, गेहूं, तिलहन, 15000
अन्य फसलें, 8000
भवन क्षति
पक्का मकान, 150000
कच्चा मकान, 130000
कच्चा मकान (आंशिक) 20000
झोपड़ी, 8000
पशु बाड़ा, 3000
पक्के घर की चहारदीवारी, 15000
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इन जानवरों से नुकसान पर मुआवजा
बाघ, गुलदार, हिम तेंदुआ, जंगली हाथी, तीनों प्रकार के भालू, लकड़बग्घा, जंगली सूअर, मगरमच्छ, घडिय़ाल, सांप, मधुमक्खी, ततैया, लंगूर व बंदर।

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