देहरादून। उत्तराखंड के लिए मंगलवार का दिन तब यादगार बन गया, जब विधानसभा के विस्तारित सत्र में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के दृष्टिगत इससे संबंधित विधेयक सदन में प्रस्तुत किया। आजादी के बाद उत्तराखंड ऐसी पहल करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। विधेयक में महिला अधिकारों के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद सभी धर्मों व वर्गों में बहु विवाह पर रोक लग जाएगी और एक पति एक पत्नी का प्रावधान होगा। विवाह और विवाह विच्छेद के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा। इसके साथ ही विधेयक में प्रावधान किया गया है कि उतराधिकार में बेटा बेटी को बराबरी का अधिकार होगा। लिव इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। विधेयक में इन सब बिंदुओं को कानूनी रूप दिया गया है।
मंगलवार को विधानसभा सत्र में सदन की कार्यवाही शुरू होने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता विधेयक पेश किया। दोपहर बाद इस पर सदन में चर्चा शुरू हो गई। यह विधेयक बुधवार को पारित होगा।
सत्र में राज्य आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को सरकारी सेवा में आरक्षण को लेकर विधानसभा की प्रवर समिति की रिपोर्ट भी सदन में रखी गई। पिछले वर्ष विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन आठ सितंबर को यह विधेयक रखा गया था, तब इसे प्रवर समिति को सौंप दिया गया था। मानसून सत्र का सत्रावसान न होने के चलते इसे ही अब विस्तारित किया गया है। आंदोलकारी आरक्षण विधेयक भी बुधवार को पारित होगा।