देहरादून। लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही उत्तराखंड में भी धीरे धीरे चुनावी रंग घुलने लगा है। उत्तराखंड में लोकसभा की पांच सीटें टिहरी गढ़वाल, हरिद्वार, गढ़वाल, अल्मोड़ा और नैनीताल ऊधम सिंह नगर हैं, लेकिन अन्य राज्यों की भांति इस मध्य हिमालयी की राजधानी के नाम पर यहां किसी भी लोकसभा सीट का नामकरण नहीं हुआ है।
हालांकि, इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो एक दौर में देहरादून के नाम से लोकसभा सीट हुआ करती थी। वर्ष 1952 से लेकर 1971 तक यह अस्तित्व में रही। इसका नाम था देहरादून-बिजनौर (उत्तर-पश्चिम)-सहारनपुर। पहले लोकसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी महावीर त्यागी ने जीत हासिल की थी।वर्ष 1977 में हुए परिसीमन में हरिद्वार लोकसभा सीट बनने के बाद यह सीट खत्म हो गई। हरिद्वार सीट में देहरादून, टिहरी और पौड़ी जिले के कुछ हिस्सों को सम्मिलित किया गया।
उत्तराखंड राज्य बनने के बाद देहरादून को अस्थाई राजधानी बनाया गया। इसके अलावा राज्य निर्माण आंदोलन की भावनाओं का केंद्र रहे गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया। बावजूद इसके दो राजधानी होने के बाद भी इनमे से किसी एक के नाम पर लोकसभा की सीट का नामकरण नहीं हो पाया।