उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव आगे खिसकना तय
सरकार ने फिर बढाया नगर निकायों में प्रशासकों का कार्यकाल, नए बोर्ड का गठन होने तक बने रहेंगे
देहरादून। उत्तराखंड में नगर निकायों में प्रशासकों कार्यकाल बढ़ने के साथ ही अब निकाय चुनाव आगे खिसकना तय हो गया है। शासन ने निकायों में नए बोर्ड का गठन होने तक प्रशासकों का कार्यकाल विस्तारित करने की अधिसूचना जारी कर दी है।
राज्य में नगर निकायों का कार्यकाल पिछले साल दिसंबर में खत्म हो गया था। तब चुनाव की स्थिति न बन पाने के कारण निकायों को छह माह के लिए प्रशासकों के हवाले कर दिया गया था। हालांकि इस अवधि में भी चुनाव की स्थिति नहीं बन पाई तो इस वर्ष दो जून को प्रशासकों का कार्यकाल तीन माह के लिए बढ़ाया गया, जो अब समाप्त हो गया है। इसे देखते हुए सरकार ने अब फिर से निकायों में प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाया है।
इस संबंध में जारी अधिसूचना के अनुसार गत वर्ष एकल समर्पित आयोग से निकायों में ओबीसी को प्रतिनिधित्व संबंधी रिपोर्ट प्राप्त न होने के कारण निकायों में प्रशासक बैठाए गए। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार निकायों में ओबीसी आरक्षण का नए सिरे से निर्धारण होना है। इसके बाद लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाया गया। वर्तमान में मानसून सीजन में अतिवृष्टि, भूस्खलन, बादल फटने जैसी घटनाएं हो रही हैं। निकायों में ओबीसी सर्वे में भी समय लगने की संभावना है। ऐसे में निकायों में प्रशासनिक शून्यता की स्थिति न हो, इसी के दृष्टिगत प्रशासकों का कार्यकाल विस्तारित किया गया है।
बता दें कि पूर्व में सरकार ने हाईकोर्ट में कहा था कि निकाय चुनाव 25 अक्टूबर तक करा दिए जाएंगे, लेकिन यह स्थिति भी नहीं बन पा रही है। इस बीच गैरसैण में हुए विधानसभा के मानसून सत्र में निकायों में ओबीसी आरक्षण के लिए निकाय अधिनियम में संशोधन विधेयक विधानसभा की प्रवर समिति को सौंप दिया गया। प्रवर समिति को एक माह में अपनी रिपोर्ट देनी है। इसके बाद सरकार निकाय अधिनियम में संशोधन करेगी। इस प्रक्रिया मे समय लगना तय है। ऐसे में चुनाव आगे खिसकना तय है।