मंडुवा बनेगा पहाड़ की नई पहचान: 48.86 रुपये प्रति किलो की दर से खरीद शुरू, 50,000 कुंतल का लक्ष्य

देहरादून। उत्तराखंड के किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। पहाड़ों की पारंपरिक फसल मंडुवा (फिंगर मिलेट्स) अब एक बार फिर ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनने की ओर अग्रसर है। राज्य सरकार ने इस वर्ष मंडुवा की सरकारी खरीद 48.86 रुपये प्रति किलो की दर से शुरू कर दी है, जिससे किसानों के चेहरों पर उत्साह और आशा की नई किरण दिखाई दे रही है।
राज्य सहकारी संघ के माध्यम से पूरे प्रदेश में मंडुवा की खरीद एक अक्तूबर से आरंभ हो चुकी है। इस बार 211 सहकारी समितियों के माध्यम से यह खरीद की जा रही है। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार लक्ष्य भी बड़ा है—2024 में जहां 10,000 किसानों से 31,640 कुंतल मंडुवा खरीदा गया था, वहीं 2025 में 50,000 कुंतल मंडुवा खरीदने का लक्ष्य रखा गया है।
क्रय केंद्रों की जिलेवार स्थिति: अल्मोड़ा में 43, चमोली में 22, बागेश्वर में 13, उत्तरकाशी में 13, पौड़ी में 17, पिथौरागढ़ में 24, टिहरी में 30, रुद्रप्रयाग में 10, नैनीताल में 17 और देहरादून में 3 केंद्रों के माध्यम से यह खरीद की जा रही है।
किसानों को मिलेगा सीधा लाभ
मंडुवा की खरीद दर में पिछले वर्षों के मुकाबले बड़ा इजाफा हुआ है। सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने जानकारी दी कि मंडुवा की खरीद दर 18 रुपये प्रति किलो से शुरू होकर अब 48.86 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा, “यह केवल किसानों की मेहनत का सम्मान नहीं, बल्कि उनकी आय बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।”
डॉ. रावत ने आगे कहा कि राज्य सरकार ‘लोकल टू ग्लोबल’ विजन पर काम कर रही है और उत्तराखंड के मिलेट्स को अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाने के लिए रोडमैप और बिजनेस प्लान तैयार किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि मंडुवा जैसे पारंपरिक, पोषक और ऑर्गेनिक उत्पादों को ब्रांडिंग के साथ वैश्विक मंच पर पेश किया जाएगा।
समिति को भी मिलेगा प्रोत्साहन
राज्य सहकारी संघ के प्रबंध निदेशक आनंद शुक्ला ने बताया कि इस वर्ष प्रति कुंतल मंडुवा की खरीद 4886 रुपये की दर से हो रही है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक कुंतल पर समिति को 100 रुपये प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर और क्रय केंद्र खोले जाएंगे ताकि किसानों को सुविधा हो। वे स्वयं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पूरे राज्य में मंडुवा खरीद की मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
मंडुवा: एक फसल, अनेक लाभ
मंडुवा सिर्फ एक परंपरागत फसल नहीं, बल्कि पोषण, पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह फसल कम पानी में उगाई जा सकती है, रासायनिक खाद की आवश्यकता नहीं होती, और यह पूरी तरह ऑर्गेनिक होती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठनों के अनुसार, मंडुवा में भरपूर मात्रा में कैल्शियम, आयरन, फाइबर और प्रोटीन पाया जाता है। यह मधुमेह, हृदय रोगियों और ग्लूटेन एलर्जी से पीड़ित लोगों के लिए बेहद लाभकारी है। शहरी क्षेत्रों में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है।
पलायन पर भी लगेगा अंकुश
राज्य में सहकारी समितियों के सक्रिय प्रयासों और सरकार की नीतियों से मिलेट्स की खेती में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। इससे न केवल किसानों की आमदनी बढ़ रही है, बल्कि गांवों में कृषि की पुनर्बहाली से पलायन पर भी रोक लग रही है। मंडुवा अब केवल एक पारंपरिक अनाज नहीं, बल्कि उत्तराखंड की नई आर्थिक पहचान बनने जा रहा है। सरकार और सहकारी संस्थाओं की योजनाबद्ध पहल से पहाड़ों की तकदीर और तस्वीर दोनों बदलने की दिशा में सार्थक प्रयास जारी हैं।
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