देहरादून। उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में अब सड़कों और इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में वन भूमि की अड़चन नहीं आएगी। एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) से सौ किलोमीटर की हवाई परिधि में इन कार्यों के लिए वन भूमि से जुड़े प्रस्तावों को राज्य सरकार अनुमोदित कर सकेगी। बशर्ते, केंद्र सरकार ने इन्हें नोटिफाइड किया हो।
सचिवालय में गुरुवार को मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में वन (संरक्षण एवं संवर्द्धन) अधिनियम में दिए गए छूट के संबंध में हुई बैठक में बताया गया कि एलएसी से 100 किमी की हवाई परिधि में मिलने वाली छूट केवल उन सड़क परियोजनाओं के लिए होगी, जिन्हें केंद्र सरकार ने अधिसूचित किया हो। इसके बाद इन सड़कों के वन भूमि से जुड़े प्रस्तावों को राज्य सरकार अनुमोदित करेगी।
सीमांत क्षेत्र में रणनीतिक और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 10 हेक्टेयर तक की वन भूमि का उपयोग किया जा सकेगा। इसका अनुमोदन भी राज्य सरकार कर सकेगी, लेकिन ये कार्य भी केंद्र से नोटिफाइड होने आवश्यक है। बैठक में प्रमुख सचिव वन आरके सुधांधु, सचिव लोनिवि पंकज कुमार पांडेय सहित वन विभाग, बीआरओ के अधिकारी मौजूद थे।
सीमांत गावों से पलायन पर लगेगा अंकुश
वन (संरक्षण एवं संवर्द्धन) अधिनियम में छूट दी गई छूट से राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में विभिन्न सड़कों के निर्माण का रास्ता साफ होगा। इसके साथ ही वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम की अवधारणा को फलीभूत करने में मदद मिलेगी। प्रथम गांव कहे जाने वाले सीमावर्ती गावों के विकास की राह खुलेगी। साथ ही, वहां से निवासियों के पलायन पर भी रोक लग सकेगी।