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सीबीआरआई, रुड़की में इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल 2025 का कर्टेन-रेज़र कार्यक्रम आयोजित

इस वर्ष की थीम — “विज्ञान से समृद्धि: आत्मनिर्भर भारत”

रुड़की। सीएसआईआर–केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सीबीआरआई) में सोमवार को 11वें इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल (IISF) 2025 का कर्टेन-रेज़र कार्यक्रम आरएनटी ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया। इस वर्ष उत्सव का समन्वयन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES), भारत सरकार द्वारा किया जा रहा है तथा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटिरियोलॉजी (IITM), पुणे नोडल संस्थान है। मुख्य उत्सव 6 से 9 दिसंबर 2025 तक पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में होगा।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और ‘वंदे मातरम्’ से हुई। ओडीएस प्रमुख डॉ. नीरज जैन ने अतिथियों, वैज्ञानिकों, संकाय सदस्यों और विद्यार्थियों का स्वागत करते हुए IISF तथा इस वर्ष की थीम “विज्ञान से समृद्धि : आत्मनिर्भर भारत” के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि IISF का उद्देश्य वैज्ञानिकों, नवोन्मेषकों, शिक्षकों, उद्योग विशेषज्ञों और नीति-निर्माताओं को एक मंच पर लाकर ज्ञान-साझा, सहयोग और नवाचार को बढ़ावा देना है।

कार्यक्रम में सीएसआईआर–सीबीआरआई के वरिष्ठतम वैज्ञानिक डॉ. डी. पी. कानूनगो एवं मुख्य अतिथि डॉ. आशीष रतुड़ी, प्रोफेसर, भौतिकी विभाग, डॉल्फिन इंस्टीट्यूट, देहरादून की गरिमामयी उपस्थिति रही। माउंट लिटेरा ज़ी स्कूल, पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय नं. 1 और बाल विद्या मंदिर के विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक प्रतिभाग किया।

डॉ. डी. पी. कानूनगो ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय समृद्धि, नवाचार और सतत विकास की आधारशिला है। उन्होंने युवाओं को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान देने का आह्वान किया। सीबीआरआई निदेशक डॉ. आर. प्रदीप कुमार ने भी कर्टेन-रेज़र कार्यक्रम की सराहना करते हुए इसे विज्ञान जागरूकता को बढ़ावा देने वाला महत्वपूर्ण आयोजन बताया।

मुख्य अतिथि डॉ. आशीष रतुड़ी ने खगोल विज्ञान पर प्रेरणादायक व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने भौतिकी और अंतरिक्ष विज्ञान के महत्व, लेंस एवं दूरबीनों के विकास, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी तथा खगोल विज्ञान की उपयोगिता पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बदलते तकनीकी युग में भारत को ऐसे नवोन्मेषकों की आवश्यकता है जो जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य, कृषि और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन जैसी वास्तविक चुनौतियों के समाधान दे सकें। IISF इसी दिशा में नई सोच और प्रयोगधर्मिता को प्रोत्साहित करता है।

इसके बाद डॉ. रतुड़ी को डॉ. कानूनगो ने मोमेंटो भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम में प्रधान वैज्ञानिक डॉ. सौमित्रा मैती ने “बिल्डिंग मटेरियल्स के विकास हेतु अपशिष्ट उपयोगिता” विषय पर व्याख्यान दिया, जिसमें संसाधन संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण और कार्बन फुटप्रिंट में कमी की संभावनाओं पर चर्चा की गई।

कार्यक्रम का समापन वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. हेमलता द्वारा आभार प्रदर्शन और राष्ट्रगान के साथ हुआ। इसके बाद विद्यार्थियों ने सीएसआईआर-सीबीआरआई के ग्रामीण प्रौद्योगिकी पार्क तथा विभिन्न प्रयोगशालाओं और प्रदर्शनी गैलरी का भ्रमण किया। इस अवसर पर हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के 50 विद्यार्थी भी संस्थान की प्रमुख सुविधाओं का अवलोकन करने पहुँचे। कार्यक्रम में डॉ. पी. सी. थपलियाल, विनीत सैनी, डॉ. तबिश आलम, डॉ. चंचल, डॉ. अनिंद्य पाइन, राजेंद्र, रजनीश, रजत, अनुज, इक़रा, राशी, संस्कृति सहित अनेक वैज्ञानिक एवं कर्मचारी मौजूद रहे।

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